रक्षा बंधन 2024, Wednesday, 30 Aug, 2023




अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिये हर बहन रक्षा बंधन के दिन का इंतजार करती है। श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पिछे कहानियां हैं। यदि इसकी शुरुआत के बारे में देखें तो यह भाई-बहन का त्यौहार नहीं बल्कि विजय प्राप्ति के किया गया रक्षा बंधन है। भविष्य पुराण के अनुसार जो कथा मिलती है वह इस प्रकार है।

बहुत समय पहले की बाद है देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ा हुआ था लगातार 12 साल तक युद्ध चलता रहा और अंतत: असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया। इसके बाद इंद्र देवताओं के गुरु, ग्रह बृहस्पति के पास के गये और सलाह मांगी। बृहस्पति ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा विधान करने को कहा। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरू बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया। इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि जिन्हें इंद्राणी भी कहा जाता है ने इस रक्षा पोटली के देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए।

वर्तमान में यह त्यौहार बहन-भाई के प्यार का पर्याय बन चुका है, कहा जा सकता है कि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाला पर्व है। एक ओर जहां भाई-बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिये उपवास रखती है। इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है।

वैदिक राखी - जानें वैदिक रक्षासूत्र बनाने व बांधने की विधि

रक्षाबंधन यानि राखी, इस त्यौहार को लेकर पूरे भारतवर्ष में विशेषकर हिंदूओं में पूरा उल्लास दिखाई देता है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक बन चुका यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। वर्तमान में बाज़ार ने हमारे लगभग हर रीति-रिवाज़, तीज-त्यौहार को मनाने के मापदंड लगभग बदल दिये हैं। चकाचौंध में इन त्यौहारों के वास्तविक मूल्य भी लुप्त होते जा रहे हैं। रक्षाबंधन से लगभग एक महीने पहले ही बाज़ारों में रौनक शुरु हो जाती है। दुकानें सजाई जाने लगती हैं। रंग-बिरंगी राखियों के स्टॉल भी लगाये जाने लगते हैं। रेशम के धागों से लेकर बनावटी फूलों की राखियां सजी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं वैदिक परंपरा के अनुसार जो राखियां आप बाज़ार से खरीदते हैं उनका महत्व केवल प्रतीकात्मक रूप से त्यौहार को मनाने जितना ही है। शास्त्रानुसार रक्षाबंधन के दिन बहनों को भाई की कलाई पर वैदिक विधि से बनी राखी जिसे असल में रक्षासूत्र कहा जाता है बांधी जानी चाहिये। इसे बांधने की विधि भी शास्त्रसम्मत होनी चाहिये।


 

कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र (राखी)

अब सवाल यह उठता है कि बाज़ार से राखी न लाकर घर पर वैदिक राखी कैसे बनाई जाये। तो इसका समाधान भी हम आपको यहां दे रहे हैं। दरअसल वैदिक राखी बनाने के लिये आपको किसी ऐसी दुर्लभ चीज़ की आवश्यकता नहीं है जिसे प्राप्त करना आपके लिये कठिन हो बल्कि इसके लिये बहुत ही सरल लगभग घर में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों की ही आवश्यकता होती है। वैदिक राखी के लिये दुर्वा यानि कि दूब जिसे आप घास भी कह सकते हैं चाहिये, अक्षत यानि चावल, चंदन, सरसों और केसर, ये पांच चीज़ें चाहिये। हां एक रेशम का कपड़ा भी चाहिये क्योंकि उसी में तो इन्हें डालना है।

दुर्वा, चावल, केसर, चंदन, सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, कोड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जायेगी।

इसके साथ ही एक राखी कच्चे सूत से भी बनाई जाती है। ब्राह्मण अपने जजमान को यही रक्षासूत्र बांधते थे। इसमें कच्चे सूत के धागे को हल्दीयुक्त जल में भिगोकर उसे सुखाया जाता है। इस तरह कच्चे सूत की राखी तैयार हो जाती है।

 

वैदिक राखी का महत्व

दोनों ही राखियों में प्रयुक्त होने वाली सामग्री का विशेष महत्व माना जाता है। कच्चे सूत व हल्दी से बना रक्षासूत्र शुद्ध व शुभ माना जाता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है।

वहीं दुर्वा, अक्षत, केसर, चंदन, सरसों से बना रक्षासूत्र भी शुभ व सौभाग्यशाली माना जाता है। विभिन्न धार्मिक क्रिया-कलापों में इन वस्तुओं का इस्तेमाल होते हुए आपने देखा होगा। हल्दी, चावल और दूब तो विशेष रूप से लगभग हर कर्मकांड, पूजा आदि में प्रयोग की जाती है। दरअसल रक्षासूत्र में इनके इस्तेमाल के पीछे की मान्यता भी यही है कि जिसे भी रक्षासूत्र बांधा जा रहा है उसकी वंशबेल दूब की तरह ही खूब फले-फैले, भगवान श्री गणेश को प्रिय होने से इसे विघ्नहर्ता भी माना जाता है। वहीं अक्षत यानि चावल आपसी रिश्तों में एक दूसरे के प्रति श्रद्धा के प्रतीक हैं साथ ही दीर्घायु स्वस्थ जीवन की कामना भी इनमें निहित मानी जाती है। केसर तेजस्विता के लिये तो चंदन शीतलता यानि संयम के लिये एवं सरसों हमें दुर्गुणों के प्रति तीक्ष्ण बनाये रखे इस कामना के साथ रखी जाती है। हल्दी, गोमती चक्र, कोड़ी भी शुभ माने जाते हैं।

 


वैदिक राखी बांधने का मंत्र

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वां अभिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल।।

इस मंत्र का अभिप्राय है कि जिस रक्षासूत्र से महाबली, महादानी राजा बली को बांधा गया था उसी से मैं तुम्हें बांध रहा/रही हूं। हे रक्षासूत्र आप चलायमान न हों यही पर स्थिर रहें। इस रक्षासूत्र को पुरोहित द्वारा राजा को, ब्राह्मण द्वारा यजमान को, बहन द्वारा भाई को, माता द्वारा पुत्र को तथा पत्नी द्वारा पति को दाहिनी कलाई पर बांधा जा सकता है। 

इस विधि द्वारा जो भी रक्षासूत्र को बांधता है वह समस्त दोषों से दूर रहकर वर्ष भर सुखी जीवन व्यतीत करता है –

जनेन विधिना यस्तु रक्षाबंधनमाचरेत।

स सर्वदोष रहितसुखी संवतसरे भवेत्।।

  • कुल मिलाकर वैदिक रीति रिवाज़ों से बने व बंधे रक्षासूत्र से ही वास्तव में रक्षाबंधन के पर्व की सार्थकता होती है। आप सबको रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।

भाई की सुख समृद्धि हेतु राशिनुसार बांधे इस रंग की राखी

हिंदू धर्म में कई तरह के रीति-रिवाज और परंपराएं विद्यमान है। दुनियाभर में भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, यहां आए दिन कोई न कोई पर्व मनाया जाता है। वहीं किसी भी तीज-त्योहार को मनाने के लिए शुभ मुहुर्त का अपना ही एक विशेष महत्व है। इस बार 15 अगस्त गुरुवार को देशभर में भाई-बहन के प्यार के प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन मनाया जाएगा। खासबात यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं पड़ रहा है। इसके चलते राखी बांधने के लिए शुभ समय 15 अगस्त सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शुरु होगा और शाम 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। 

 


बन रहा है शुभ संयोग

इस बार ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राखी से 4 दिन पहले ही गुरु मार्गी हो जाएगा। पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन के दिन नक्षत्र श्रवण, सौभाग्य योग, बव करण, सूर्य राशि कर्क और चंद्रमा मकर राशि में रहने वाला है। इस बार रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र और सौभाग्य योग का संयोग देखने को मिल रहा है। 

 

राशिनुसार बांधे रक्षासूत्र

इस पावन पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र को बांधती हैं और उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी रक्षासूत्र काफी फायदेमंद होता है। राखी बांधने से कफ, पित्त और वात जैसी कई बीमारियां दूर हो सकती हैं और अंतर्मन में भय नहीं सताता है। इतना ही नहीं भाई की सुख-समृद्धि के लिए आप ज्योतिष की मानें तो उनकी राशि के अनुसार आप उन्हें शुभ रंग की राखी बांध सकती हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि भाई की राशि के अनुसार बहनें उन्हें कौन-से रंग का रक्षासूत्र बांधे।

यद्यपि यह सामान्य जानकारी है। हमारी सलाह है कि अपनी कुंडली के अनुसार रक्षाबंधन को मनाने के लिये आप अनुभवी ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लें।

मेष राशि :-

इस राशि का स्वामी मंगल है। इस राशि के जातक की कलाई पर लाल रंग की राखी बांध सकते हैं और उनके माथे पर कुमकुम का तिलक लगा सकते हैं। मालपुए से उनका मुंहमीठा करा सकते हैं। इससे उन्हें नये कार्यों में सफलता मिलने की संभावना बनी रहेगी. 

वृष राशि :-

इस राशि का स्वामी शुक्र है। जिनके भाइयों की राशि वृषभ है उन बहनों को कलाई पर सफेद रेशमी डोरी वाली राखी बांधनी चाहिए और रोली का तिलक करना चाहिए। मुंहमीठा कराने के लिए उन्हें दूध से निर्मित मिठाई खिलाएं। इससे उन्हें मानसिक शांति मिल सकती है। 

मिथुन राशि :- 

इस राशि के जातकों की कलाई पर हरे रंग की राखी बांध सकते हैं और हल्दी का तिलक लगा सकते हैं। इस राशि का स्वामी बुध है। इससे भाई को दीर्घायु प्राप्त हो सकती है और सुख-समृद्धि बनी रहने की संभावना है। भाई को बेसन से निर्मित मिठाई खिलाएं।

कर्क राशि :- 

इस राशि का स्वामी चंद्रमा है जिसकी वजह से भाई की कलाई में चमकीले सफेद रंग की राखी बांधे और माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। मिठाई के रूप में रबड़ी खिलाएं। इस रंग से भावनात्मक रिश्तों में मजबूती बनी रह सकती है।

सिंह राशि :- 

सिंह राशि के जातकों का स्वामी सूर्य है और सूर्य का रंग पीला होता है। इस वजह से आप अपने भाई की कलाई में गोल्डन पीले रंग की राखी बांध सकती हैं और हल्दी मिश्रित रोली का तिलक भी लगा सकती हैं। इससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहने की संभावना है।


कन्या राशि:-

अगर आपके भाई की राशि कन्या है, तो आप उन्हे गणेश जी के प्रतीक वाला रक्षासूत्र बांधे और उन्हें गणेश जी की प्रिय मिठाई मोतीचूर का लड्डू खिलाएं। बता दें कि इस राशि के जातकों का स्वामी बुध है, जिसकी वजह से भाई-बहन के बीच हमेशा प्रेमभाव बने रहने की संभावना है।

तुला राशि :- 

इस राशि के जातकों का स्वामी शुक्र है। भाई को अपनी बहन से नीले रंग की राखी बंधवानी चाहिए और भाई को हलवा बनाकर खिलाएं। यह उनकी निर्णायक क्षमता को बढ़ा सकती है और नकारात्मक विचारों से रक्षा करेगी।

वृश्चिक राशि :- 

अगर आपके भाई की राशि वृश्चिक है, तो आप लाल रंग की राखी बांध सकती हैं। मोती युक्त राखी बांधने से भाई के जीवन में खुशहाली बनी रह सकती है। अपने भाई को रोली का तिलक लगाएं, गुड़ से बनी मिठाई खिलाएं।

धनु राशि :- 

धनु राशि के जातकों की कलाई पर पीले या सुनहरे रंग की या चंदन की राखी बांध सकते हैं और हल्दी या कुमकुम का तिलक लगा सकते हैं। मिठाई के रूप में रसगुल्ला खिलाएं। ऐसा करने से मानसिक शांति बनी रहने की संभावना है। इस राशि का स्वामी बृहस्पति है। 

मकर राशि :- 

यदि आपके भाई की राशि मकर है, तो उन्हें नीले रंग की राखी बांधे, गहरे रंग का रक्षासूत्र इस राशि के लोगों की अशुभता से रक्षा कर सकता है। केसर का तिलक लगाएं और भाई को बालूशाही खिलाएं।


कुम्भ राशि :- 

इस राशि का स्वामी शनि है। इस राशि के लोगों को रुद्राक्ष से निर्मित राखी बांधनी चाहिए। इस राशि के जातकों को हल्दी का तिलक करें और कलाकंद खिलाएं। यह उन्हें अच्छा व्यक्तित्व और मजबूत मनोबल प्रदान कर सकता है।

मीन राशि :- 

यदि आपके भाई की राशि मीन है, तो उन्हें सुनहरे पीले रंग की राखी बांधे और हल्दी का तिलक लगाएं। इसके अलावा उन्हें मिल्क केक खिलाएं। यह उनके मन को प्रसन्नचित्त रख सकता है।