Monday, 21 August ,2023
Naga Panchami 2023
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happy  nag panchami 2020


हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा उपासना के लिये व्रत व त्यौहार मनाये ही जाते हैं साथ ही देवी-देवताओं के प्रतिकों की पूजा अर्चना करने के साथ साथ उपवास रखने के दिन निर्धारित हैं। नाग पंचमी एक ऐसा ही पर्व है। नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं। वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी। लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है। इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। सावन मास के आराध्य देव भगवान शिव माने जाते हैं। साथ ही यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिसमें माना जाता है कि भू गर्भ से नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं। वह किसी अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है।

 

नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध

नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा। पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से खिसक लिया। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

 


क्यों करते हैं नाग पंचमी पूजा

नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के उपरोक्त धार्मिक और सामाजिक कारण तो हैं ही साथ ही इसके ज्योतिषीय कारण भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। काल सर्प दोष भी कई प्रकार का होता है। इस दोष से मुक्ति के लिये भी ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व बताते हैं।

 

नाग पंचमी पर क्या करें क्या न करें

इस दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती। नाग पूजा के लिये नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।

नागपंचमी पर ऐसे मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति!

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। जहां सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को उत्तर भारत में नाग पूजा की जाती है, वहीं दक्षिण भारत में एेसा ही पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में नाग पंचमी का अत्यंत महत्व माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। और दूध चढ़ाया जाता है। भगवान शिव को सर्प अत्यंत प्रिय हैं इसीलिए उनके प्रिय माह सावन में नाग पंचमी का त्योहार आता है जिसे श्रद्घा पूर्वक विधि विधान से मनाने पर भोलेनाथ प्रसन्न हो कर अपनी कृपा बरसाते हैं।


 

नागपंचमी की पौराणिक कथाएं

भविष्य पुराण के अनुसार सावन महीने की पंचमी नाग देवता को समर्पित है यही कारण है कि इसे नागपंचमी कहते हैं पौराणिक कथा के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष पंचमी को भगवान श्री कृष्ण ने वृदांवन में नाग को हराकर लोगों का जीवन बचा लिया था श्री कृष्ण भगवान ने सांप के फन पर नृत्य किया, जिसके बाद वह नथैया कहलाये, एक और पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार इस दिन सृष्टि रचयिता ब्रह्रमा जी ने अपनी कृपा से शेषनाग को अलंकृत किया था पृथ्वी का भार धारण करने के बाद लोगों ने नाग देवता की पूजा करनी शुरू कर दी, तभी से यह परंपरा चली आ रही है|

 

नागपंचमी पूजन और सर्पदोष से मुक्ति

मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को नागपंचमी के दिन व्रत भी रखा जाता है, व्रत के बारे में गरूण पुराण में लिखा है कि व्रत रखने वाले को मिट्टी या आटे के सांप बनाकर उन्हें अलग-अलग रंगो से सजाना चाहिए, सजाने के बाद फूल, खीर, दूध, दीप आदि से उनकी पूजा करें, क्योंकि नाग देवता को पंचम तिथि का स्वामी माना जाता है  पूजा के बाद भुने हुये चने और जौ को प्रसाद के रूप में बांट दें|

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है उन लोगों को इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए| इस दिन पूजा करने से कुंडली का यह दोष समाप्त होता है|

 

नाग पंचमी को करते हैं भगवान शिव और नागों की पूजा

नाग पंचमी एक  हिन्दू पर्व है जिसमें नागों और सर्पों की पूजा की जाती है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि में यह पर्व पूरे देश में पूर्ण श्रद्धा से मनाया जाता है। इस वर्ष 2019 में नाग पंचमी 5 अगस्त को सोमवार के दिन मनाई जाएगी।

इस पर्व को मनाने के पीछे एक रोचक तथ्य है। श्रावण के महीने में बरसात होने के कारण अक्सर सर्प अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और दूसरा अस्थायी बसेरा ढूंढते हैं। ये कहीं मनुष्यों को हानि ना पहुंचाए, इसलिए नागपंचमी पर इनकी पूजा की जाती है और इन्हें दूध भी पिलाया जाता है।

 

क्या है नाग पंचमी की कहानी

यह मान्यता है कि भगवान कृष्णा ने इसी दिन गोकुलवासियों को कालिया नामक नाग के आतंक से बचाया था। कथा के अनुसार, एक दिन बालकृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना तट पर खेल रहे थे। तभी उनकी गेंद नदी में जा गिरी। गेंद बाहरनिकालने के प्रयास में कृष्ण नदी में जा गिरे। उसी समय कालिया ने उनपर आक्रमण कर दिया। किन्तु इस बात से अंजान कि श्री कृष्ण साधारण बालक नहीं है, कालिया ने उनसे क्षमा याचना मांगी। कृष्ण ने कालिया से पहले यह प्रतिज्ञा ली कि वह कभी भी गाँव वालों को परेशान नहीं करेगा, तत्पश्चात उन्होंने कालिया को छोड़दिया। प्रचंड नाग कालिया पर कृष्णा की विजय के बाद इस दिन को नाग पंचमी के रूप में श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है।

नाग पंचमी के अवसर पर श्रद्धालु भूमि की खुदाई नहीं करते और इस दिन नागदेवता की तस्वीर या मिट्टी से बनी उनकी प्रतिमा के सामने दूध, धान, खील और दूब घास का चढ़ावा करते है और नागदेवता की पूजा करते हैं। यह भी मान्यता है कि प्रभु शिव नागों और सर्पों को स्नेह करते है और सर्पोंऔर नागों की पूजा-अर्चना करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं। शिवजी के रुद्ररूप से ना केवल मनुष्य बल्कि देवी-देवता भी घबराते हैं। इसलिएकुछ श्रद्धालु भगवान शिव के आशीर्वाद हेतु जीवित कोबरा नाग की पूजा करते हैं और उन्हें दूध और अन्य पदार्थों का सेवन करते हैं।

यह पर्व पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से और विभिन्न रीतियों के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र में कुछ भक्त एकथाल में जीवित किन्तु शांतचित नाग को लेकर घर-घर जाकर भिक्षा मांगते हैं। केरल में भक्त नागदेवता के मंदिर जाकर उनकी पत्थर और धातु की प्रतिमाओं की पूजा करते हैं ताकि वे और उनके परिजन सालभर सर्पों के प्रकोप और सर्पदंशों से बच सकें। रीती-रिवाज चाहे कितने ही भिन्न क्यों ना हो, नाग पंचमी सब एक ही उद्देश्य के साथ श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते हैं।